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रविवासरीय

रविवासरीय --------- सुबह पाँच बजे उठ कर प्रभात सैर को निकलेंगे और शनिवार को नींद के आगोश के कारण जो सुबह की सैर छूट गयी थी उस कसर की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए कुछ ज्यादा भागदौड़ की जायेगी। साढ़े छे बजे तक वापस आकर नित्यक्रम से निवृत होकर चाय की प्याली के साथ समाचार पत्र पर खर्च होने वाले महीने की रकम को निचोड़ने को कोशिश की जायेगी। इस दौरान हर खबर पर दिमाग में कई बातें दौड़ेगी और उन सब बातों को किनारे रख कर पेट में दौड़ने वाले चूहों की संतुष्टि के लिए श्रीमती जी से नाश्ते का मीनू पूछेंगे और संतुष्टि के लिए कुछ विकल्प भी सुझायेंगे। ततपशचात केशों पर मेहँदी लगाने का आयोजन है और मेहँदी लगने के बाद एक आधी देखी हुयी फ़िल्म LUCY देखने का विचार है ताकि ये निष्कर्ष निकाला जा सके की फ़िल्म को 5 में से कितने सितारे दिए जा सकते है। इस बीच दोपहर के खाने का मीनू भी निर्धारित कर लिया जाएगा। खाने के बाद एक झपकी लेने का विचार है और फिर संध्या को अपने प्रम मित्र कुलदीप के साथ एक रेलवे स्टेशन की तरफ सैर पर जाते हुए अपने वर्तमान जीवन में घटित घटनाओं का आदान प्रदान करने का भी विचार है। संध्या सैर से वापस