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Showing posts from 2017

छत

में खुद एक छत हूँ। लेकिन कई छतों का साया मेरे ऊपर भी है। माँ के आशीष के साथ पापा की सुरक्षा की छत है तो बीवी के प्यार के साथ छत बच्चों के अरमान की। भाई के साथ के साथ बहन के स्नेह की छत है तो ‎दोस्तों की हँसी के साथ छत आराम की। छत पुरखों की है मेरे ऊपर कहीं तो कहीं छत मेरे गाँव में बसे भगवान की। ‎नौकरी में सहयोगियों की छत है कहीं तो कहीं छत कंपनी के सम्मान की। छत दूसरों के विश्वास की है कहीं तो छत उम्मीद भरे आसमान की। ‎ छत है सब पर अनंत नीले आसमान की और उसमें छुपे नानक, जीसस, अल्लाह और राम की। #justnegi

साथी की भावनायें

कभी देर से तो कभी जल्दी आ जाना और कभी इंतज़ार में राह तकते रह जाना, असीमित आकांक्षाओं भरे दिलों को सीमित सी जगह में सिकोड़ कर रोज़ आते जाते देखना। काफी समय से बच्चों को स्कूल ले जाने वाले ऑटो वाले कि मनमर्ज़ीयाँ आर्थिक परिस्तिथियों के आगे नतमस्तक हो रखी थी। आखिरकर एक बीच का रास्ता नज़र आया OLX के रूप में जो हमें इस समस्या रूपी नदी को पार करने में सेतु का कार्य करती। 20-25 हज़ार रुपए के दुपहिया वाहन की खोज शुरू हुई और एक साल पुराने एक्टिवा स्कूटर जिसकी कीमत 45 हज़ार रुपये पर आकर ठहर गयी। चादर से बाहर निकल रहे आर्थिक पैरों की वजह से जेब बगावत पर उतर रही थी लेकिन वर्तमान दुश्वारियों और दूरगामी फायदे का वास्ता दिला कर जेब को बड़ी मुश्किल से मनाया। कीमत में कुछ रियायत के आग्रह पर स्कूटर का दाम 40 हज़ार बताया गया तो फालतू की सौदेबाज़ी को दरकिनार कर मैंने भी सहमति दर्ज कर दी। दूरी दोनो पक्षों के लिए एक चुनौती बन गयी थी, तो आफिस के एक साथी को जो उस क्षेत्र के आस पास से होकर गुजरता था उसको आग्रह कर कहाँ की कृपा करके स्कूटर का मुआयना कर उसकी वास्तविक स्तिथि से अवगत करा दे और एक अन्य साथी को कहा कि स्

देशभक्ति या मौकापरस्ती

कुछ महीनों पहले की ही बात है जब jio नही था तब सारी टेलीफोन नेटवर्क कंपनियों के कॉल और नेट पैक की कीमत एक समान थी। सारे भारत पर उनका राज था और लोगों के पास दूसरा कोई उपाय नही था उनकी मुँह मांगी कीमत देने के अलावा। 30 दिन के महीने को 28 दिन में परिवर्तित कर दिया गया है। सरकार की टेलीफोन सेवायें ऐसी है कि लोग फ्री में भी नही लेते। ऐसी स्तिथि में सारे भारतीय बाज़ार पर उनकी मोनोपोली चल रही थी। उपभोक्ता को या तो उनकी निर्धारित कीमत चुकानी होगी या फिर उन सेवाओं से वंचित रहना होगा। Jio के आने के बाद आज सब कम से कम कीमत पर अधिक से अधिक कॉल और नेट पैक देने की प्रतिस्पर्धा में लगे है। चीनी सामान की तुलना हमारे यहां Jio से की जा सकती है जो कि काफी क्षेत्रों में सामान की कीमत को आम आदमी के बजट में रखे हुए है। अगर कल चीनी सामान को बंद कर दिया जाए तो क्या भारतीय कंपनियां एकजुट होकर अपने सामान को एक निश्चित कीमत पर खरीदने के लिए आम आदमी को विवश नही कर सकती जैसा कि टेलीफोन नेटवर्क कंपनियों ने कर रखा था Jio के आने से पहले। चीनी सामान को न कहने से पहले हम भारतीयों को अपने और दूसरे के मन को टटोलने की

बाहुबली 2 - मेरी नज़र से।

पूरी फिल्म आंखों को ध्यान में रख कर बनाई गई है और वाकई आंखों को प्रसन्न करती है। कई दृश्य रोंगटे खड़े कर देते है जिसका एहसास आपको केवल सिनेमा घर मे ही महसूस होगा। दिमाग को घर पर रख कर ही फ़िल्म देखने जायें। सिंहासन के लिए निम्नतम स्तर की राजनीति का प्रयोग जो कि हम अक्सर सास बहू वाले नाटकों में देखते है। जहां किसी एक पक्ष की बात सुनकर दूसरे पक्ष के खिलाफ फैसला सुना दिया जाता है बिना दूसरे पक्ष की सुनवाई के बगैर। कटप्पा जैसे गंभीर किरदार से कॉमेडी करवा के गुड़ का गोबर करना। अंत मे लड़ाई इस कद्र दिखाई गई है कि वास्तविकता का मानव क्षमताओं से कोई लेना देना ही नही रह जाता। हॉलीवुड की बेहतरीन ग्राफ़िक्स को टक्कर देती फ़िल्म जो लॉजिक में काफी कमजोर पड़ जाती है। एक बार देखने योग्य पैसा वसूल फ़िल्म।

जय माता दी।

कुछ दिन पहले एक शादी के दौरान जैसे ही घड़ी की सुइयों ने 10 बजने का संकेत दिया DJ वाले बाबू ने सबकी फरमाइशों को दरकिनार कर ये ऐलान कर दिया कि अब DJ नही बजेगा।  क्योंकि ये रिहायशी इलाका है और कानून के अनुसार रिहायशी इलाके में 10 बजे के बाद किसी भी तरह का जोर शोर वाला गाना बजाना वर्जित है। इससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को विभिन्न रूप से असुविधा होती है जो कि किसी भी रूप में सही नही है। और अनगिनत मिन्नतों के बाद भी DJ वाले बाबू अपना साजो सामान बटोर कर सब के अरमानों पर पानी फेर कर चले गए। आज उसी मुहल्ले में उन्ही लोगों के बीच एक जागरण का आयोजन हो रहा है। रात के 12 बज जाने के बाद भी आयोजन भरपूर रूप से अपनी चरम ध्वनि के साथ आयोजित किया जा रहा है और सुबह तक इसी जुनून के साथ बदस्तूर जारी रहेगा। सब कुछ उस दिन जैसा ही है फर्क सिर्फ गाने के बोलों का और भावनाओं का है। न तो किसी को इस से किसी तरह की परेशानी है और न ही ये गैरकानूनी है। बोल सांचे दरबार की...जय।।

अनोखे टिप्स

आईये आज मैं आपको कुछ ऐसे टिप्स बताता हूँ जो की हर आम इंसान को पता होने चाहिए। टिप - 1 सुबह उठने के एक घंटे के अंदर चाय या कॉफ़ी पीने से आपको शुगर होने की संभावना बहुत हद तक बढ़ जाती है। कोशिश करे की सुबह उठ कर पानी पियें और एक घंटे बाद ही चाय या कॉफ़ी ले। टिप - 2 अगर आप अपना मोबाइल दिन भर में दो घंटे से ज्यादा इस्तेमाल करते है तो आपको कैंसर होने के सबसे ज्यादा संभावना है और इसका सीधा असर आपके दिल और दिमाग पर पड़ता है। टिप - 3 अगर आप बीड़ी या सिगरेट के साथ चाय या कॉफ़ी पीते है तो आपको पेट संबंधी रोग होने के सबसे ज्यादा संभावना है। टिप - 4 अगर आप 6 घंटे से अधिक सोते हो तो आपके बाल झड़ने की समस्या की ये असली वजह हो सकती है। टिप - 5 हफ्ते में एक बार केला या आम का शेक पीने से आपको खांसी और जुखाम की परेशानी से जीवन भर छुटकारा मिल सकता है। टिप - 6 ऊपर जो भी टिप्स मैंने दिए है वो सब "गलत" है। जी हाँ। सब गलत है। आप में से 90% लोगों ने इन सब बातों को सच मान लिया होगा, क्योंकि  बहुत से लोग जिन बातों के बारे में नहीं जानते उनको सच मान लेते है और फिर बड़े ही

प्रगति के नुस्खे

बहुत लम्बे समय से मै मोटीवेसनल विडियो और किताबें पड़ता आ रहा हूँ और झूठ नहीं कहूँगा, काफी हद तक मै उनसे inspire भी हुआ हूँ और मेरा नजरिया भी बदला है । इन किताबों और विडियो से और कुछ हुआ हो या न हुआ हो लेकिन लोगों से बात करने के लिए बहुत कुछ मिल जाता है, आप लोगों से थोडा सा हट कर देखते हो और आपके पास लोगों को बताने के लिए घटना के विपरीत का एक दूसरा पहलु भी होता है, जो की दूसरों को जल्दी से दिखाई नहीं देता। लेकिन सही कहूं तो वास्तविकता मे ये सब देखने और पड़ने के बाद आप अपने जीवन में सिर्फ 5% परिवर्तन ला सकते हो, इसके पीछे कारण है की जिन लोगों से आपने डील करनी है वो सब इन बातों को बिलकुल बेकार समझते है या इस तरह के लोगों को समझने वालों की संख्या बहुत कम है और जब ऐसे लोग ही नहीं मिलेंगे तो आपकी बातें "भैंस के आगे बीन बजाना" जैसी हो जाएगा। तो आइये भारत में सदियों से चले आ रहे आगे बढने और प्रगति करने के अचूक नुस्खों पर एक नज़र डालते है। १. तेल लगाना (चमचागिरी / तलवे चाटना / जूते चाटना / चिकना घड़ा / दल बदलू / मौकापरस्त / खाबरिलाल / जी हुजूरी करना) जिस काम को भारत में सबसे धिक्कार

आधा घंटा

साली साहिबा ने रात को कहा कि कल सुबह ऑफिस जाते समय मुझे गांव वाली बस में बिठा देना या बस तक छोड़ देना। सुबह पूरा आधा घंटा था मेरे पास ऑफिस के लिए निकलने के लिए तो सोचा चलो आज छोटे को भी ले चलते है बड़े को स्कूल छोड़ने के लिए जाते समय। जैसे ही बिल्डिंग से नीचे उतर कर बाइक को देखा, पंक्चर टायर ने अपनी अकड़न छोड़ कर नर्म लहज़े से मेरा स्वागत किया और  साथ में छोटे ने भी घर वापस न जा कर बड़के को स्कूल छोड़ने के लिए साथ आने की जिद्द पकड़ ली। पैदल स्कूल जाने आने में 5 की जगह 15 मिनट लग गए। घर पे पहुँच कर साली साहिबा को खुद ही ऑटो से जाने के लिए कहा और जल्दी से रेडी हो कर बाइक धकेलते हुए पहुंचे पंक्चर वाले के पास। जो आधा घंटा ज्यादा हो गया था वो इस प्रक्रिया में अपने साथ कीमती आधे घंटे को भी हजम कर गया। आधे रस्ते पहुँच कर जाम की समस्या देखने को मिली। कुछ लोग गलत साइड से जा रहे थे लेकिन देर होने के बावजूद सीधे रस्ते पर टिके रहे इस उम्मीद में की जाम खुल ही जायेगा। लेकिन 15 मिनट बाद भी जाम न खुलता देख एक लंबे रास्ते की तरफ बढ़ चले ये सोच कर की लंबा सही कम से कम इस जाम से तो जल्दी ही पहुंचेंगे। लेकिन व

असमंजस

असमंजस पैसा कमाकर धनी बन जाऊं या जो है उसमें ही संतुष्टि पाऊं। त्यौहार के लिए कपड़े नये बनाऊँ या जो है मौजूद काम उनसे चलाऊँ। वाद विवाद कर खुद को सही ठहराऊँ या जीत में उसकी खुशी खुद की पाऊँ। बच्चे को डांट कर गलती बतलाऊँ या पी के गुस्सा प्यार से समझाऊँ। राह चलते अजनबी से आँख फिराऊँ या बिखेर कर मुस्कान इंसानियत दिखलाऊँ। सो कर देर तलक तृप्ति पाऊँ या छोड़ कर मोह को घूमने जाऊँ। #justnegi

चुनावी फसल

हम अपनी सूझ बूझ से अपने क्षेत्र की परिस्तिथियों को ध्यान में रख कर अपने खेतों में फसल बोते है और उसी के अनुसार उम्मीद भी रखते है। माना कि एक बार हम अपनी सूझ बूझ और परिस्तिथियों का आंकलन सही से न कर पाए लेकिन अगली बार फिर हम वही निर्णय ले तो ये सीधे तौर पर हमारी निर्णय लेने की क्षमता पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है और हम ही अपनी सफलता और विफलता के जिम्मेदार माने जाने चाहिए। यहाँ पर फसल से मेरा तात्पर्य नेताओं से है जिन्हें हम बहुत सूझ बूझ से चुनते है और एक बार नहीं बार बार चुनते है। हर बार अपनी चयनित नेता रुपी फसल के नष्ट या भ्रष्ट होने पर हम खुद की गलतियों  से पल्ला झाड़ कर नेताओं या फसल को दोष मढ़ते फिरते है। दूसरे में गलतियां निकलते समय हमें ये नहीं भूलना चाहिए की हमारे पास अपने भी गिरहबान हैं। वोट देते समय बस ईमानदारी से इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि हमारे राज्य की प्रगति और विकास में हमारी अपनी प्रगति और विकास छुपा है और अपनी स्वार्थ वाली प्रगति और विकास में राज्य का विनाश। इस बार के बीज ईमानदारी के साथ राज्य के विकास और प्रगति लिए बोये।