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Showing posts from October, 2018

ठग

सड़क किनारे बाइक को धक्का ले जाते हुए युवक को मैंने दूर से ही देख लिया था, उत्सुकतावश उसकी तरफ देखा तो उसने रुकने का इशारा किया। अपनी बाइक रोक कर संभावना से पूछा कि "क्या पेट्रोल खत्म हो गया है"? अपेक्षित जवाब हाँ के साथ कारण भी स्वतः बताया जाने लगा कि किसी ने मॉल की पार्किंग मे बाइक से पेट्रोल निकाल लिया और अब उसके पास पेट्रोल भरवाने के रुपये भी नही है। मेरे पास ठीक-ठाक पेट्रोल था तो मैंने कहा कुछ बोत्तल वगैरह हो तो में कुछ दे देता हूँ। लेकिन आस-पास नज़रें दौड़ाने के बावजूद कुछ न मिला तो उसने कहा कि कुछ रुपये मिल जाते तो वो कुछ दूर खींच के ले जाता और फिर पंप से भरवा लेता। आये दिन होने वाली ठगी की घटनाओं को ध्यान मे रखते हुए मैंने सरलता से बोला कि "आजकल लोग झूट बोलकर रुपये ठग लेते है तो इसलिए में रुपये नही दे पाऊंगा"। मेरी इस बात पर युवक के स्वर मे कटुता आ गयी और बोला "अगर आपको मुझ पर विशवास नही है और लगता है कि में ठग हूँ तो मुझे आपके रुपये नही चाहिए" मैंने कहा "में सिर्फ शंका जाहिर कर रहा हूँ क्योंकि आप मेरे लिए अनजान हो" "अगर आपको में

Land of Zombies

The world around us is full of zombies. The moment they realise that you have different approach towards life they will bit you hard and put you in a situation where you are left with only two options, either become like one of them or remain different to come across more such zombies. A similar two way zone is before me and mind and  heart are fighting hard to influence me, where heart says "Don't listen to mind, you are what you are" and mind says "To survive among these zombies you have to become like one else you will be destroyed by them" A tough decision to make.