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Personality

 I was born with blank mind and there was no concept of relegion/cast, honestly/dishonesty, black/white, language/abuse, god/devil, love/hate etc. Learned everything by seeing/experiencing around me and developed a personality which is obviously almost like people around me. Like every other person, I can control and modify my thoughts, which turns into actions and contribute to add-on or reduce something in society I live in. My most of the thoughts/actions are purely comes out of the data feeded in me, which i have collected from the society and it keeps changing as my data collection increases with my age. My society build my personality and my thoughts/actions are result of it. I am just a follower of my society through which my mental DNA is developed and reciprocating as it has seen, observed and learned to progress or keep self entertained in the journey of life. After all being a natural speice, my first and foremost motto is to servive by adopting best available practices in m

MP3 (मेरा पहला पहला प्यार)

दिल्ली के सरकारी स्कूल मे आठवीं कक्षा के B सेक्शन मे चौथा पीरियड चल रहा था और उसी कक्षा की आखिरी सीट पर बैठे हुए हम तीन दोस्त (सुनील, धर्मेंद्र और मैं) बड़े ही ध्यान से कक्षा मे चल रहे विषय से बहुत दूर हाल ही मे रिलीज़ हुई 'हम' फ़िल्म में अमिताभ बच्चन द्वारा बोले गए डायलॉग "दुनिया में दो तरह के लोग होते है" की विवेचना में मग्न थे। तभी नज़र आठवीं A की कक्षा की तरफ गयी और पाया की "सुमन" हमारी तरफ देखकर मुस्कुरा रही है। पूछो या न पूछो बता देता हूँ की "सुमन" पूरे स्कूल की क्रश थी और "विशाल" उस पर बुरी तरह मोहित था, लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी जब दाल नही गली तो फिर उसने अपनी कोशिशों को विराम देकर इस रिश्ते को भाई-बहन का रूप देकर खत्म कर दिया। जी हाँ वही "सुमन" हमारी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी, जिसकी हमने कल्पना भी नही की थी और इसी के चलते उसकी इस हरकत को हमने बहुत ही साधारण रूप में लिया। लेकिन जब वही मुस्कुराहट हमे लंच के बाद दुबारा देखने को मिली, दूसरे दिन भी और तीसरे दिन भी तो हम तीनो को कुछ-कुछ होने लगा। हम तीनो का ध्यान खेल, फ़

Traffic Rules

Although it is an effect of new traffic violations charges but it is really pleasant to see most of people are following traffic rules. Still many people out there complaining about the  high penalties, they need to understand it is in your hand whether you want to pay penalty or not, they can't forcefully extract money out of your pocket, you just need to follow traffic rules. Another excuse is being given about condition of roads, here you also need to know that maintenance of roads is a part of Municipal Corporation & PWD, traffic police is nowhere related/responsible for it. Don't give traffic police any chance to become corrupt, instead maintain your vehicle documents and follow traffic rules.

पूँछ और नली

हम भारतीय पूँछ है और नियम-कानून उसको सीधा करने वाली नलियाँ। इतिहास गवाह है की पूँछ को सीधा करने के चक्कर में हज़ारों प्रकार की नलियाँ टेड़ी चुकी है पर कोई भी नली आज तक हमारी पूँछ का बाल भी बाँका नही कर पाई। फिर एक बार मार्किट में ट्रैफिक की नई नलियाँ आई है अपनी किस्मत आजमाने तो देखें इनका क्या हश्र होता है। #NewTrafficRules

Trick

Recently Sonakshi Sinha said that Hanuman Ji fetched the "Sanjeevani Booti" for Sita Mata and afterwards her reply is being circulated over social sites and she is being compared with Alia Bhatt IQ Level. What I think... 1. They are actresses and their job of field is acting and not the winning general knowledge competitions. We should only judge an actor on the basis of his/her acting skills, not for IQ level. 2. It is very important for a celebrity to be in highlights to attract the acting offers and to be in highlights he/she needs to do something which is either extra ordinary or extra silly. For a celebrity it is very hard to do something extra ordinary and get the public attention, hence they opt the second option and say something silly against which public go crazy and they calmly wait for the offers. So, before considering any celebrity fool and spreading it over social media sites, make sure you are wise enough to understand his/her trick.

प्रयास

लाल बत्ती की दूसरी तरफ रुके हरे-पिले रंग के शेयरिंग ऑटो को निहारते हुए मन ही मन वो एक सीट मिल पाने की उम्मीद के साथ बार बार अपने फ़ोन मे बढ़ते और ऑफिस के लिए कम होते हुए समय को देख रहा था। जैसे ही लाल रंग फिसल कर हरे रंग पर रुका मैंने भी अपनी बाइक को आगे बढ़ा दिया, उस युवक ने अपना हाथ रुकने के लिए दिया जो की मेरे पीछे आते ऑटो के लिए था लेकिन मैंने अपनी बाइक उसके सामने रोक दी, नज़रे मिली उसने पूछा सेक्टर 62 नोएडा तक छोड़ दोगे? मैंने कहा चलो। कुछ आगे चल कर पूछा की नोएडा में असल में कहाँ जाना है तो जवाब "फोर्टिस हॉस्पिटल" मिला। हालाँकि भारी यातायात की वजह से मैंने उस रास्ते से चलना बंद कर दिया था और एक थोड़ा लंबा लेकिन कम ट्रेफिक वाला रास्ता ढूँढ लिया था। उसके गंतव्य को जान कर सोचा चलो इसी बहाने पुराने रास्ते को एक बार फिर निहार लिया जाए। फोर्टिस हॉस्पिटल पर पहुँच कर सेवा स्वरूप धन्यवाद अर्जित किया आगे निकल चले। रोमांचक बात ये रही की, उसको पता है की उसने रुकने के लिए मुझे हाथ नही दिया था और मुझे भी पता है की उसने मुझे रोकने के लिए हाथ नही दिया था लेकिन उसको ये नही पता की ये बात मुझे

सहयोग

कुछ हिम्मत लचर कानून ने दी, कुछ हौसला अनंत न्याय व्यव्यस्था ने बढ़ाया, कुछ विशवास नेताओं पर था, कुछ समाज को देख कर सीखा था, कुछ धर्म का ऊपरी ज्ञान अर्जित था, कुछ दम अपने अंदर भी था। और इन सब के सहयोग से "अलीगढ़ की ट्विंकल" की चमक बुझा दी गयी।