गढ़वाल की एक शादी
पिछले महीने गढ़वाल की एक शादी में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, उसी का विर्तान्त लिख रहा हूँ l अपने स्कूली दिनों मे जब गाँव में था तो बारात में जाने का एक अलग ही खुमार होता था l बड़ी ही बेसब्री से गाँव में होने वाली शादियों का इंतज़ार हुआ करता था l बस की छतो पर बेठ कर चिल्लाते हुए जाना, नाचना, शिष्टाचार स्वरुप मिलने वाले तिलक के पैसो का इंतज़ार और रसना जैसे किसी कोल्ड ड्रिंक का स्वाद गजब होता था l सालियों के साथ मस्ती और उनको लूभाने और पटाने के लिए किये जाने वाले कारनामे l कुल मिलाकर एक अदभुत अनुभव हो जाता था जिंदगी का जो बहुत लम्बे समय तक दोस्तों के बीच में बताने और सुनाने के लिए याद रहता था l ऐसी ही कुछ यादों को संजोये में गाँव के ही एक लड़के की बारात में गया जहाँ लगभग मेरे समय के दोस्तों से मुलाक़ात हुयी काफी अरसे के बाद जो की सब अलग अलग शहरों और नौकरियों में व्यस्त है l न्युतेर के दिन ही एहसास हो गया जब मेरे सारे दोस्त दारु की खोज में इधर उधर निकल गए और में अकेला रह गया और उसके बाद नशे में सब DJ में लहराते हुए नज़र आये l एक दो छिटपुट लड़ाई की घटनायें भी हुयी जो की एक सामान्य सी बात होती