गढ़वाल मैं उत्पन्न होती समस्याएँ
जैसे जैसे गढ़वाल उन्नति कर रहा है (इसे आप अवन्नती भी कह सकते है) दिन प्रतिदिन नयी नयी समस्याएँ उत्पन्न हो रही है, जो आगे चल कर एक भयंकर रूप धारण कर सकती है, जैसे की :
जल संकट, घरेलु सब्जियों का अभाव, वनों मैं वृक्षों का अभाव, पशुओं के चारे का अभाव, खेती से उत्पन्न होने वाले अनाज में निरंतर गिरावट, ईधन के लिये लकडियो का अभाव
उपरोक्त सभी ऐसी समस्याएँ हैं जिनके बिना गढ़वाल अपना वजूद खो देगा।
अधिकतर गाँव मैं जल संकट चरम सीमा पर पहुँच चूका हैं, छोटी मोटी नदियाँ तो अब केवल बरसात के मौसम मैं ही नज़र आती हैं. (बिन पानी सब सून).
घरों मैं पशुओं के चारे के अभाव मैं लोगों ने पशुपालन धीरे धीरे बंद कर दिया हैं, भैंसे पालना तो हाथी पालने जैसे होता जा रहा हैं केवल चारे के अभाव के कारण।
घरों मैं ईधन के लिये लकड़ियों के अभाव के कारण गैस का प्रचलन बढता ही जा रहा हैं जिससे चूल्हे की रोटी का स्वाद विलुप्त की कगार तक पहुचने वाला है।
जलवायु परिवर्तन भी काफी हद तक महानगरों के सामान होता जा रहा हैं।
सुधार तभी संभव है जब हमें कमियों के पता होगा।
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