एक सार्थक सफर (Suffer)
रात्रि 11:30 पर जैसे ही देहरादून के लिए एक और बस मोहन नगर पर पहुंची कुछ लोग इस उम्मीद में उसकी तरफ लपके की शायद इस बस में कोई सीट खाली हो। लेकिन कंडक्टर बाबू ने स्पष्ट कर दिया की बस ...
मेरे इस चल रहे जीवन की सोच और घटनाओं का संकलन l