लाल बत्ती की दूसरी तरफ रुके हरे-पिले रंग के शेयरिंग ऑटो को निहारते हुए मन ही मन वो एक सीट मिल पाने की उम्मीद के साथ बार बार अपने फ़ोन मे बढ़ते और ऑफिस के लिए कम होते हुए समय को देख ...
इस दुनिया में स्थिर कुछ भी नही, आज जो हमें सही लगता है कुछ समय पशचात वही गलत लगने लग जाता है। ऐसे मे जब हम अपनी जुबान का मान खुद ही नही रख सकते तो दूसरों से कैसे उम्मीद रख सकते है...