प्रयास
लाल बत्ती की दूसरी तरफ रुके हरे-पिले रंग के शेयरिंग ऑटो को निहारते हुए मन ही मन वो एक सीट मिल पाने की उम्मीद के साथ बार बार अपने फ़ोन मे बढ़ते और ऑफिस के लिए कम होते हुए समय को देख रहा था।
जैसे ही लाल रंग फिसल कर हरे रंग पर रुका मैंने भी अपनी बाइक को आगे बढ़ा दिया, उस युवक ने अपना हाथ रुकने के लिए दिया जो की मेरे पीछे आते ऑटो के लिए था लेकिन मैंने अपनी बाइक उसके सामने रोक दी, नज़रे मिली उसने पूछा सेक्टर 62 नोएडा तक छोड़ दोगे? मैंने कहा चलो।
कुछ आगे चल कर पूछा की नोएडा में असल में कहाँ जाना है तो जवाब "फोर्टिस हॉस्पिटल" मिला। हालाँकि भारी यातायात की वजह से मैंने उस रास्ते से चलना बंद कर दिया था और एक थोड़ा लंबा लेकिन कम ट्रेफिक वाला रास्ता ढूँढ लिया था। उसके गंतव्य को जान कर सोचा चलो इसी बहाने पुराने रास्ते को एक बार फिर निहार लिया जाए। फोर्टिस हॉस्पिटल पर पहुँच कर सेवा स्वरूप धन्यवाद अर्जित किया आगे निकल चले।
रोमांचक बात ये रही की, उसको पता है की उसने रुकने के लिए मुझे हाथ नही दिया था और मुझे भी पता है की उसने मुझे रोकने के लिए हाथ नही दिया था लेकिन उसको ये नही पता की ये बात मुझे पता है।
इंसानियत को जिंदा रखने का एक प्रयास।
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