ठग

सड़क किनारे बाइक को धक्का ले जाते हुए युवक को मैंने दूर से ही देख लिया था, उत्सुकतावश उसकी तरफ देखा तो उसने रुकने का इशारा किया। अपनी बाइक रोक कर संभावना से पूछा कि "क्या पेट्रोल खत्म हो गया है"?

अपेक्षित जवाब हाँ के साथ कारण भी स्वतः बताया जाने लगा कि किसी ने मॉल की पार्किंग मे बाइक से पेट्रोल निकाल लिया और अब उसके पास पेट्रोल भरवाने के रुपये भी नही है।

मेरे पास ठीक-ठाक पेट्रोल था तो मैंने कहा कुछ बोत्तल वगैरह हो तो में कुछ दे देता हूँ। लेकिन आस-पास नज़रें दौड़ाने के बावजूद कुछ न मिला तो उसने कहा कि कुछ रुपये मिल जाते तो वो कुछ दूर खींच के ले जाता और फिर पंप से भरवा लेता।

आये दिन होने वाली ठगी की घटनाओं को ध्यान मे रखते हुए मैंने सरलता से बोला कि "आजकल लोग झूट बोलकर रुपये ठग लेते है तो इसलिए में रुपये नही दे पाऊंगा"।

मेरी इस बात पर युवक के स्वर मे कटुता आ गयी और बोला "अगर आपको मुझ पर विशवास नही है और लगता है कि में ठग हूँ तो मुझे आपके रुपये नही चाहिए"

मैंने कहा "में सिर्फ शंका जाहिर कर रहा हूँ क्योंकि आप मेरे लिए अनजान हो"

"अगर आपको में ठग दिखता हूँ तो रहने दो फिर" स्वर की कटुता बरकरार थी।

भावनाओं को दरकिनार कर मैंने...
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बाइक पर किक मारी और निकल चला मंजिल की और।

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