सुषमा स्वराज

भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में महिला का घर से बाहर निकल कर नौकरी या व्यव्यसाय करना आसान नही था और कुछ हद तक अभी भी मुश्किल ही है, इसका एहसास अखबार और टीवी में आने वाली खबरें बखूबी दिला देखी है और अगर बात राजनीति में महिला की शिरकत की हो तो उसके लिए महिला के अंदर दबंगता, निर्भयता और मुँहफट वाले लक्षण होने जरूरी है।

इस सब के विपरीत एक महिला राजनीति में जब भी दिखी है उसमें हमेशा मुझे एक माँ के गुण जैसे की सुशील, सरल हृदय, मृदु भाषी, भावुकता ही नज़र आये।

बहुत कुछ उन्होंने इस देश को दिया है और अभी बहुत कुछ की आशा भी थी लेकिन अफसोस की वो अब दुबारा नही दिखेगी।

RIP #सुषमा स्वराज

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