अजकाले की नोनी

क्या आप लुखूँ थे पता च की अजकाले नोनियू दगड़ क्या परेशानी च?

तुमथे एक नोनी बजार म दिख्या।
तुमुल वीन्थे मुंड बटे की खुटा तलक दयाख।
तुमुल वीन्की छाती दयाख, तुमथे मस्त लगिन।
तुमुल वीन्का पैथर दयाख, तुमथे मज़ा आ ग्या।
तुमुल वीन्की कमर दयाख, तुमथे नशा चेड़ गया।
व जरा उन्दू ख़ूणे झुक, तुमुल कनख़यूल वीन्का भीतर त दयाख।
राति स्वीणो म तुमुल व अपणा बिस्तरम दयाख।
क़तगे बणी का पोजम तुमुल वीन्का दगड़ अपथे दयाख।
तुमरी भूख शांत हवेगे। अब तुम वीन्थे भूली ग्यो।

हेंका दिन, तुमरी भुल्ली अर तुमरी ब्वारी गेनी वे बज़ार म।
तुम त निछाई, पर तुमरी जगा आज क्वी और छाई।

वेल भी वी दयाख, ब्याली जु तुमुल दयाख छाई।
क्या याद च तुमथे की ब्याली तुमुल क्या दयाख छाई?

और जण चाणा छौ, अजकाले की नोनियू दगड़ क्या परेशानी च?

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