आस्था
हवलदार जगजीवन की भगवान के ऊपर बहुत आस्था थी और उनके जीवन मे होने वाली सारी अच्छी घटनाओं का सारा श्रेय भगवान को ही जाता। जब भी मौका मिलता वो मंदिरों के दर्शन और पूजा पाठ में समय व्यतीत करते।
जिस दिन हवलदार जगजीवन को बीवी के गर्भवती होने की सूचना मिली उसी दिन होने वाली संतान के भविष्य की जानकारी हेतु वो पुजारी जी से जाके मिले। दिनों की गणना करके पंडित जी ने बच्चे के जन्मदिन का अनुमान लगाया और जगजीवन बाबू को कहा कि अमुक तारीख को अगर बच्चा पैदा होता है तो परिवार खुशियों से भर जाएगा, ये दिन बच्चे व पूरे परिवार के लिए बहुत भाग्यशाली है।
आनेवाली खुशियों की राह तकते तकते आखिर वो दिन आने वाला था जिस दिन को बच्चे के जन्म को पण्डितजी ने पूरे परिवार के लिए भाग्यशाली बताया था। लेकिन शायद जगजीवन बाबू के परिवार की किस्मत में कुछ और ही था, डॉक्टर के अनुसार बच्चे का जन्म ठीक पंडितजी के बताए दिन के अगले दिन का तय किया गया।
भविष्य की चिंताओं से बचने के लिए जगजीवन बाबू ने कड़ा फैसला लिया और तय किया कि बच्चे का जन्म आपरेशन से उसी दिन किया जाएगा जिस दिन पंडितजी ने बताया है।
अंधविश्वासी और पुराने विचारों को गलत ठहराने की डॉक्टरों की हर सलाह को दरकिनार कर जगजीवन बाबू अपने फैसले पर अड़े रहे और बच्चे का जन्म आपरेशन से पंडितजी के बताए दिन के अनुसार ही कराया गया।
बच्चे के जन्म के उपरांत एक हफ्ते के अंदर सब कुछ सफलतापूर्वक होने पर जगजीवन बाबू की खुशियों का ठिकाना न था और अगले ही दिन वो फिर मंदिर पहुंच गए।
किसी कारणवश पुराने पंडित जी छुट्टी पर थे और दूसरे पण्डित जी से मुलाक़ात होने पर जगजीवन बाबू ने जन्मदिन के अनुसार बच्चे की जन्मपत्री बनाने की इच्छा जाहिर करी। जन्मदिन की तारीख देखते ही नए पंडितजी घबरा गए और बोले ये बच्चा तो गलत नक्षत्रों में पैदा हुआ है, आप पर इस बच्चे का साया बहुत बुरा रहेगा।
नए पंडितजी की बात सुनते ही हवलदार जगजीवन सकते में आ गए और इस बात से खुद को दिलासा देने लगे कि शायद इन पंडितजी को ज्यादा पता नही है। मुश्किल से बचा हुआ दिन और रात बिता कर अगले दिन भोर में ही मंदिर पहुंच गए। पुराने पंडित जी को सारा किस्सा सुनाया।
जन्मदिवस की तारीख सुनते ही पुराने पंडित जी ने कहा शायद आपके सुनने में या हमारे कहने में कुछ गलती हो गई है। इतना सुनते ही हवलदार जगजीवन अपना आपा खो बैठे और सारे नियम कानूनों को ताव पर रख कर पण्डितजी पर लगे कहर बरसाने। जब तक लोग आकर बूढ़े पंडितजी को इस कहर से बचा पाते तब तक पंडितजी परलौकवासी हो चुके थे।
आज हवलदार जगजीवन जेल की सलाखों के पीछे बैठे उस दिन को कोस रहे है जिस उस बूढ़े पंडित ने गलत दिन बताया और जिसके कारण बच्चे का जन्म गलत नक्षत्र में हुआ और परिणामस्वरूप उसको आज ऐसे दिन देखने पड़ रहे है।
Andhviswas ke kisse isse bade bade hain desh me
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