पलायन

फिसल कर पहाड़ों से हम...
समतल हुए जा रहे है।

बड़ी समझ इस कदर की हम...
बेअक़्ल हुए जा रहे है।

छोड़ कर पहचान अपनी हम...
बेशक्ल हुए जा रहे है।

पछाड़ के खुद को अपनों से हम...
सफल हुए जा रहे है।

भाया न आज हमको की हम...
कल हुए जा रहे है।

#justnegi

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