चश्मा
फेसबुक पर दो तरह की प्रजातियाँ इस कद्र जुटी पड़ी है जैसे गन्ने के जूस के ठेले के पास भिनभिनाती हुई मक्खियाँ, एक मोदी विरोधी और दूसरी मोदी समर्थक।
दोनो एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाने मे इस कद्र व्यस्त है कि अगर ये काम उनसे छीन लिया जाए तो कहीं एकांकीपन उनको लील न जाये।
हालाँकि दोनो प्रजातियाँ एक दूसरे के विरुद्ध कार्य कर रही है लेकिन कार्यप्रणाली दोनो की एक समान है।
जैसे कि...
दोनो की पोस्ट ख्याली पुलाव होते है जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नही होता।
दोनो की मानसिकता मक्खी की तरह होती है, पूरा शरीर छोड़ कर केवल घाव या चीनी पर केंद्रित रहती है।
दोनो ही ऐसे ग्रुप के सपोर्टर होते है जो या तो पूर्ण रूप से खिलाफत करेंगे या फिर यशगान।
दोनो की विचारधारा one way ट्रैफिक होता है। या तो सिर्फ अच्छा दिखेगा या फिर सिर्फ बुरा।
दोनो का अपना दिमाग नही होता, जैसा उनके ग्रुप द्वारा दिखाया जाता है वह सत्य मान लिया जाता है, बाकी सब सफेद झूठ।
दोनो को एडिटेड फ़ोटो या खबर पहचानने की क्षमता नही होती।
और ऐसी ही अन्य कई।
बचिए इनसे, निकाल बहार करिए इनको अपने संपर्क क्षेत्र से, वरना आपकी नजर भी इनके चश्मे से दुनिया देखने लग जायेगी जिसमे मानव का निम्नतम स्तर दिखेगा जो जात-पात, धर्म, कुरुतियाँ, बुराईयों में फंस पड़ा है जो कि बिल्कुल भी असली नही है। इसके बाहर बहुत अच्छी दुनिया है, आपके आप पास के लोग बहुत अच्छे इंसान है और ये हकीकत है कोई भ्रम नही।
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