आज का बुजुर्ग
सन 2002 ऑटो रुका और जैसे ही बुजुर्ग ने ऑटो में बैठने लायक जगह का मुआयना करने हेतु नज़र दौड़ाई ऑटो में पहले से ही सवार यात्रियों ने उनकी मनोदशा को भांप कर अपने आपको पूरी शिद्दत के साथ आपस मे सिकोड़ कर बुजुर्ग को सम्मान देते हुए उनके लिए उचित जगह बनाई। अपनी निर्धारित जगह पर पहुचने पर बुजुर्ग ने ऑटो को रुकवाया और किराये के पाँच रुपये मांगने पर ड्राइवर को सौ रुपये का नोट थमाया। आशा भरे स्वर में ऑटोवाला बोला "बाबूजी छुट्टे पैसे दे दो, पांच रुपये के लिए में सौ का खुल्ला कहाँ से लाऊंगा"। इस पर बुजुर्ग की भृकुतियाँ तन गयी और बोले "मेरे पास तो यही है, तुम ऑटोवाले हो तुम्हे खुल्ले पैसे रखने चाहिए"। बुजुर्ग की उम्र का ख्याल रखते हुए मन मे उत्पन्न हुई कड़वाहट को भीतर ही भीतर निगलते हुए ऑटोवाले ने अपनी जेबें टटोलते हुए ऑटो में बैठी अन्य सवारियों से खुल्ले पैसों का आग्रह किया तो सब ने जैसे तैसे करके खुल्ले पैसों का बंदोबस्त किया क्योंकि दफ्तर पहुँचने की जल्दी सबको थी। बुजुर्ग ने ऑटोवाले से 95 रुपये लेने के बाद एक एक नोट की जांच पड़ताल शुरू कर दी जिनमे से अधिकांश दस के नोट थे और एक