बदमाश

जो आसानी से हासिल न हो पाए उसे पाने के लिए किये गए गलत शारीरिक या यांत्रिक तरीके को अख्तियार करने वाले को बदमाश कहते है. (बदमाश की ये मेरी अपनी परिभाषा है जो मैंने महसूस करी है) अब तक के जीवन के सफ़र में मेरा भी कुछ ऐसे लोगों से वास्ता, जान पहचान या सम्बन्ध कुछ भी कह सकते है पड़ा है जिन्हें लोग “बदमाश” कह के पुकारते है या समझते हैl बदमाशी के लक्षण अक्सर स्कूल समय से ही दिखने लग जाते है l अब ये कुदरती है या उचित मार्गदर्शन की कमी, में इस बारे मे असमंजस मे हूँ l हर किसी को सब कुछ तो हासिल नहीं हो सकता जैसा की धनी परिवार, अच्छी शक्ल सूरत, अच्छा दिमाग इत्यादि लेकिन बाल मन कहाँ समझता है ये सब और स्कूल के समय में यही अधिकतर की जरूरत होती है l बची खुची कसर सिनेमा पूरा कर देता है l कुछ बच्चे इस को समझ जाते है या इस लाइन में जाने का साहस नहीं उठा पाते है तो कुछ बस किसी भी कीमत पर हासिल करने की ठान लेते है और अपना प्रभुत्व ज़माने की खातिर अपनी शारीरिक और यांत्रिक क्षमता का दुरूपयोग करके कमज़ोर को अपना शिकार बना कर अपना मतलब सिद्ध करते है और एक दो बार इस तरह की मनवांछित वास्तु पाकर इनके होंसले इतने बुलंद हो जाते है की फिर ये पीछे मुड़ कर कम ही देखते है l बेहरहाल, अब तक के जीवन में जितने भी बदमाश कहे जाने वाले शख्स मेरी जानकारी में आये उनमे से केवल एक ही जीवित है और वो भी विकलांगता के अभिशाप के साथ बाकी अन्य चार किसी न किसी बदमाशी वाले घटनाक्रम में अपना जीवन गवा चुके है l फिर भी बदमाशी का नशा दिलो दिमाग पर ऐसा हावी होता है की एक बार अगर चढ़ जाए तो फिर उतरना नामुमकिन सा लगता है l

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