प्रगति के नुस्खे

बहुत लम्बे समय से मै मोटीवेसनल विडियो और किताबें पड़ता आ रहा हूँ और झूठ नहीं कहूँगा, काफी हद तक मै उनसे inspire भी हुआ हूँ और मेरा नजरिया भी बदला है ।

इन किताबों और विडियो से और कुछ हुआ हो या न हुआ हो लेकिन लोगों से बात करने के लिए बहुत कुछ मिल जाता है, आप लोगों से थोडा सा हट कर देखते हो और आपके पास लोगों को बताने के लिए घटना के विपरीत का एक दूसरा पहलु भी होता है, जो की दूसरों को जल्दी से दिखाई नहीं देता।

लेकिन सही कहूं तो वास्तविकता मे ये सब देखने और पड़ने के बाद आप अपने जीवन में सिर्फ 5% परिवर्तन ला सकते हो, इसके पीछे कारण है की जिन लोगों से आपने डील करनी है वो सब इन बातों को बिलकुल बेकार समझते है या इस तरह के लोगों को समझने वालों की संख्या बहुत कम है और जब ऐसे लोग ही नहीं मिलेंगे तो आपकी बातें "भैंस के आगे बीन बजाना" जैसी हो जाएगा।

तो आइये भारत में सदियों से चले आ रहे आगे बढने और प्रगति करने के अचूक नुस्खों पर एक नज़र डालते है।

१.
तेल लगाना (चमचागिरी / तलवे चाटना / जूते चाटना / चिकना घड़ा / दल बदलू / मौकापरस्त / खाबरिलाल / जी हुजूरी करना)

जिस काम को भारत में सबसे धिक्कार और नफरत से देखा जाता है वो है "तेल लगाना", बावजूद इसके सबसे ज्यादा तेल भारत में ही लगाया जाता है, जिसको जहाँ पर मौका मिलता है वो वहीँ तेल लगाना शुरू कर देता है, क्यूंकि आगे बड़ने का ये सबसे कारगर तरीका है जो शायद कभी फ़ैल नहीं हुआ।

ऐसा समझा जाता है की तेल वो लगाते है जो कुछ कर नहीं सकते लेकिन अगर सही से आँका जाए तो इस काम में भी उतनी ही मेहनत लगती है जितना की और कामों मे लगती है और शायद उस से भी ज्यादा मेहनत लगती हो, तो ये न सोचे की जिसके बस की मेहनत नहीं होती वही तेल लगाते है क्यूंकि तेल लगा पाना भी हर किसी के बस की बात नहीं, उसके लिए भी हूनर चाहिए होता है।

अब ये आपकी सोच और आपके जमीर पर निर्भर करता है की आप कितना और किस तरह से आगे बढना चाहते है "तेल लगाकर" या "मेहनत करके", मेहनत से शायद एक बार आप असफलता का स्वाद चख सकते है लेकिन तेल लगाने से सफलता की संभावनाएँ अधिक होती है।

अगर आपने इस नुस्खे को अब तक नहीं अपनाया है तो एक बार कोशिश जरूर करे क्यूंकि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती चाहे बेईज्ज़ती हो जाए।

दुसरे नुस्खे फिर कभी...

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