कथा एक गाँव की।

एक गाँव मे दो गुट थे जो कि एक दूसरे के घनघोर दुश्मन थे, गाँव के आधे लोग एक तरफ और आधे लोग दूसरी तरफ थे।

जब भी युद्ध होता कुछ घरों के लोग अपने परिवारों सहित निजी फायदे के चलते विपक्षी गुट के साथ मिल कर अपने गुट को हरा देते और अगले ही युद्ध मे विजेता की तरफ के कुछ परिवारों के मुखिया अपने परिवारों सहित विपक्ष में मिल कर  पहले गुट को हरा देते।

विजेता गुट के द्वारा किये गए कार्यों को दूसरा गुट अगली बार जीतने पर या तो गलत साबित कर देता या अपने हिसाब से बदल देता।

छोटे मोटे बाहरी गुटों ने भी इस गाँव पर कब्ज़ा करने हेतु हर बार युद्ध मे हाथ आजमाने की कोशिश की पर हमेशा मुँह की खाई या यूं कहें कि दोनों गुटों के समर्थकों ने उनको मुँह नही लगाया।

ये सिलसिला बदस्तूर सालों साल सुचारू रूप से क्रमवार चल रहा था, हमेशा एक बार पहला गुट जीत जाता तो दूसरी बार हार जाता।

एक गुट जिसका दूर के एक क्षेत्र में बहुत वर्चस्व था उसने जब इस गांव में दस्तक दी तो पहले के चिर-परिचित गुटों ने इसको हल्के में लिया क्योंकि इतिहास में ये बात दर्ज हो रखी थी कि बाहरी गुटों को इस गाँव के लोग कभी घास नही डालते... लेकिन हुआ चमत्कार!!!! इस बार उस गांव के परिवारों ने घास डालने की बजाय पूरा खेत ही उस नए गुट के हवाले कर दिया या यूँ कहे कि दोनो गुटों से तंग आकर कुछ तूफानी करने की ठानी, जिसे देख का पुराने दोनो गुटों के कदमो तले की ज़मीन खिसक गई और वो पूरे गाँव से हट कर सिर्फ अपने परिवार तक सीमित होकर रह गए।

इस समय से उबरने के लिए और पुराने गुटों द्वारा अपने पुश्तेनी गाँव को हाथ से निकलते देख दोनो ने आपसी दुश्मनी भूल कर नए घुस आए गुट को बाहर खदेड़ने के लिए आपस मे संधि करने की ठानी और परिणाम स्वरूप गाँव मे हुई एक छिटपुट घटना में गांव के दो परिवार उनकी तरफ आ गए। जिससे उनको अपने द्वारा उठाये गए संधि के कदम को एक बल मिला।

नए गुट द्वारा किये गए कार्यों को उस गांव लोग या तो समझ नही पा रहे थे या फिर नया गुट जो करना चाह रहा है उसको गाँव के लोगों को सही से समझा नही पा रहे थे।

फिलहाल छिटपुट घटना का संकेत परिवर्तन की तरफ दिख रहा है लेकिन निर्णायक फैसला भविष्य में होने वाला युद्ध ही स्पष्ट करेगा।

#justnegi

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