गढ़वाल और जातपात

जातपात का गढ़वाल मैं अपना एक महत्व हैं जो की काफी मजबूत था और अभी भी हमारे बाप दादाओं मैं काफी हद तक अपनी जगह बनाये हुए हैं और हम इस बात को किसी भी रूप मैं ठुकरा नहीं सकते, धीरे धीरे जातपात का असर कम होता जा रहा हैं लेकिन यह शायद कभी ख़तम नहीं हो पायेगा, न केवल गढ़वाल मैं बल्कि पुरे भारतवर्ष मैं. गढ़वाल मैं अपने आप को ऊँची जात का होना और समझा जाना काफी महत्व रखता था और अभी भी काफी लोगों मैं यह भावना भरी हुयी हैं की हम ऊँची जात के हैं और दूसरा नीची जात का, रिश्ते भी जाती के आधार पर बनाये जाते हैं, क्षत्रियों और ब्राह्मणों मैं ही आपस मैं जब जातपात का भेदभाव चलता हैं तो हरिज़नो के साथ यह अपनी उच्चतम सीमा पर होता हैं. आप को क्या लगता हैं की क्या जातपात गढ़वाल से समाप्त हो पायेगा?

Comments

Popular posts from this blog

Personality

Traffic Rules